डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
"सर,कल आप हमारी बाल कल्याण मजदूर समिति के सालाना जलसे की सदारत कुबूल कर लें तो, हमें बहुत खुशी होगी।" समिति के सेक्रेट्री ने श्रम कल्याण अधिकारी से कहा।
" हां हां क्यों नहीं, जरुर। मैं ठीक समय पर पंहुच जाऊंगा।"
अब वह जलसे में जाने के लिए तैयार हो रहे थे।
"जमुना,अबे ओ जमुना। कहां मर गया? मेरे जूते ला।"
"ये लो मालिक।" एक आठ-दस साल का बालक जूते लेकर आया। उन्होंने वही जूता उठाया और उसके सिर पर मारते हुए बोले,
"कमबख्त ध्यान नहीं तुझे।जूते पालिश नहीं हुए। मुझको बाल मजदूर कल्याण समिति के जलसे में जाना है।देर करा रहा है।"
वह दूसरे जूते पहन अपनी कार की तरफ चल दिए।
जमुना अपना सिर पकड़े बैठा था।
डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर,उत्तर प्रदेश