तुम्हीं ममता
दुलार और मेरा
पहला प्यार
सह लेती हो
मुश्किलें हंसकर
सारे ही तुम
तुम सुखों का
वृहद् अंबार हो
अपरिमित
सहिष्णुता भी
सिखाती जीवन में
हरपल ही
पारावाऱ़ है
धैर्य का मां तुझमें
सागर तुल्य
तुझसे रिश्ता
अमोल ,जीवन का
आधार तुम
है ममता की
गहराई इतनी
समुद्र डूबे
जो भुला देती
अपने सारे ग़म
खुशी के लिए
कभी डांटती
कभी गले लगाती
हठ में झुके
मातृत्व ऐसी
संघर्षों में भी सदा
हंसती रहे
तुममें नहीं
मिलावट न थोड़ी
घबराहट
त्याग की मूर्ति ,
हो ज्ञान का भण्डार
तुम विपुल
बिना तुम्हारे
अधूरी कल्पना भी
इस सृष्टि की
ग़ृहल़क्ष्मी व़
पिता का श्रृंगार, है
शक्ति अपार
जननी तुम
संस्कारों की ,तुमने
दिया जीवन
सह कठिन
प्रसव वेदना दिया
मुझे जीवन
धन्य हुआ मैं
रहूंगा तेरा ऋणी
मां आजीवन
राजीव भारती
गौतम बुद्ध नगर नोयडा (संप्रति)
पटना बिहार (गृह नगर)