नीलम द्विवेदी
आज जो हम देखेंगे सपने,
कल निश्चय ही वो पूरे हो जाएँगे,
उन्नति के शिखरों तक पहुँच,
ध्वजा विजय का लहराएँगे,
लक्ष्य साध के चल रे बंधू ,
कार्य सफल सब हो जाएँगे,
मुट्ठी में सुर्य किरण होगी,
और चंद्र उदित भी हो जाएँगे,
अगर ठान ले तो बंजर धरती में,
पुष्प सुगंधित खिल जाएँगे,
कर्म किये चल निष्काम भाव से,
मार्ग स्वतः बनते जाएँगे,
सागर में जब तैरेंगे पत्थर,
सेतु स्वयं गढ़ते जाएंगे,
अपने दो हाथों की क्षमता पर
रखना है विश्वास सदा ही,
जटिल समस्या भी सुलझेगी,
और सफल हम हो जाएंगे
सोना भी निखरे हैं तपके ही ,
हीरा भी कट के चमकेंगे,
निःस्वार्थ भाव से कर्म करे चल,
सपनों के महल खड़े होंगे,
कर्म ही धर्म ये जान ले बंधु,
हम द्वार सफलता के आएँगे,
उन्नति के शिखरों तक पहुँच,
ध्वजा विजय का लहराएँगे।।
नीलम द्विवेदी
रायपुर ,छत्तीसगढ़।