सुषमा दीक्षित शुक्ला
आज यही समय की मांग है और जरूरत भी कि इस समय मेडिकल शिक्षा में निवेश ही सर्वोत्तम है ।
अब यह बहुत जरूरी हो गया है कि चिकित्सकों के साथ-साथ नर्सिंग औरपैरामेडिकल
शिक्षण में कार्यरत लोगों की संख्या बढ़ाई जाए ।
भारत में चिकित्सक व जनसंख्या अनुपात पॉइंट 5 अनुपात 1722 है ,ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले व शहरी मलिन बस्तियों में रहने वाले अधिकांश लोगों को प्राथमिक, माध्यमिक या तृतीयक किसी भी प्रकार की सेवा नहीं मिल पाती ।इस कारण उन्हें गैरसरकारी संगठनों पर निर्भर रहना पड़ता है ।
हमारे मेडिकल कालेजों में दिए जा रहे प्रशिक्षण में गुणवत्ता सुधार की भी आवश्यकता है, ताकि मेडिकल कालेजों के वातावरण को राष्ट्रीय स्तर पर संवेदनशील बनाया जा सके और प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके। चिकित्सका में अधिक लागत वाले उपकरणों की आवश्यकता भी पूरी नहीं हो पा रही है ,इस पर निवेश की अत्यंत जरूरत है। सबसे ज्यादा चिकित्सा शिक्षा पर ही निवेश की जरूरत है जो अभी तक नहीं हुआ है ।अभी तक भारत में इस पर संतोषजनक बजट खर्च नहीं हुआ है ।सरकार की यही अनदेखी आज के बुरे दिन लाई है ,यही वजह है कि चिकित्सा व्यवस्था लचर पड़ रही है ।
जैसा कि हम जानते हैं चिकित्सा विज्ञान संपूर्ण शिक्षा व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग है ,जो कि आजकल की कोरोनकाल की स्थिति में अत्यंत जरूरी है ।हालात बहुत ही चिंताजनक हैं । वैसे भी हम लोग भारत की चिकित्सा शिक्षा के गिरते स्तर के कारण भारी कीमत चुका चुके हैं ।इस पर ध्यान देने से क्रिनवयन करने से कम से जम भविष्य तो सुधर जाएगा बाकी जो हो चुका उसकी क्षतिपूर्ति असम्भव है ।