किरण मिश्रा "स्वयंसिद्धा"
उनका महफिल में आना कमाल हो गया,
मेरा तीरे निशाना कमाल हो गया...... !!
रूख से पर्दा उठा कत्ल दिल का हुआ,
मुझसे नजरें मिलाना कमाल हो गया !!
गर्म साँसों को छू पुरवाइयाँ जो चली,
जुल्फ़ गालों पे छाना कमाल हो गया !!
बहकी-बहकी थी शब बात मय से भरी,
चाँद का लड़खड़ाना कमाल हो गया !!
प्रेम मगरूर था बन पत्थर का सनम,
बुत को इन्सां बनाना कमाल हो गया !!
मर मिटी जो #किरण थी वो बाजीगरी,
फिर तो पहलू में आना कमाल हो गया !!
किरण मिश्रा "स्वयंसिद्धा"
नोयडा