नवीन नव बीगोद
बाहर जाएँ तो रोको ।
मास्क नहीं तो टोको ।।
जीवन है अनमोल ये ।
आग में यूँ ना झोंको ।।
बाहर यारों मौत खड़ी है ।
तोड़नी हमको कड़ी है ।।
कोरोना कर रहा तबाही ।
यारों ये कठिन घड़ी है ।।
मिलकर यारों लड़ना है ।
नियम पालन करना है ।
ज़द से इसकी बचना है ।
बचके ही तो लड़ना है ।।
टीका ही, हथियार है ।
ये लड़ने को तैयार है ।।
जल्दी ही लगालो तुम ।
बचना ही उपचार है ।।
कांप रहा ,संसार है ।
उझड रहे परिवार है ।।
कोविड ने कहर ढाया ।
अचूक इसका वार है ।।
कोशिश में सरकार हैं ।
मानव हुआ लाचार है ।।
ये जंग भी हम जीतेंगे ।
जनयोग की दरकार है ।।
पालन करे वफादार है ।
न माने ,वो गद्दार है ।।
करलो नियमों का पालन ।
जीवन से जो प्यार है ।।
मानवता का साथ दो ।
मदद को तुम हाथ दो ।।
तन मन धन करों अर्पण ।
सेवा में दिन- रात दो ।।
एकता से वो डरेगा ।
टीके से दूरी करेगा ।।
रखलो धेर्य ज़रा तुम ।
घूट -घूट के वो मरेगा ।।
तम ये कोहरा छटेगा ।
ग़म का आलम मिटेगा ।।
कुछ क्षणों की बात है ।
जीवन रथ फिर बढ़ेगा ।।