उसकी सिसकी


निवेदिता रॉय

लड़खड़ाता ज़मीर 

डगमगाता ईमान

और कितना गिरेगा ए इंसान 



इंसानियत की बैसाखी पकड़ 

ख़ुदा का ख़ौफ़ कर

उसकी बे आवाज़ लाठी से डर 


उस ख़ामोश चीख की आवाज़ सुन 

उस के आँसुओं को गिन 

तेरा भी फ़ैसला होगा क़यामत के दिन 


उसके गहरे ज़ख़्म 

उसकी सिसकती मजबूरी

याद रहे की भर गई है तेरे जुर्म की तिजोरी .......


निवेदिता रॉय (बहरीन)

Popular posts
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
परिणय दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं लखीमपुर से कवि गोविंद कुमार गुप्ता
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं इंदौर मध्यप्रदेश से हेमलता शर्मा भोली बेन
Image