कवियित्री श्वेता अरोरा की रचनाएं

 


मौत 

उसके दिल पर क्या सितम ढाया होगा,

जब उसने मौत को गले लगाया होगा!

बच्चो को जी भर कर निहारा होगा,

चेहरा चारो ओर घुमाया होगा,

सोचा कोई तो बचाने आया होगा,

जब उसने मौत को गले लगाया होगा!

किसी का भी ना उसे कोई सहारा होगा,

बेबस होकर बेचारगी से कदम उसने ये उठाया होगा!

सीने मे उसके दफन उसका हर एक दुलारा होगा,

जब उसने मौत को गले लगाया होगा! 

    

नाम तेरा माँ झंडे वाली             

 जब जब तुझे पुकारा माँ, तूने दिया सहारा माँ, 

रहने ना दी मेरी झोली खाली, 

नाम तेरा माँ झंडे वाली।

हर दुःख में हर संकट से मुझे तूने निकाला, जब भी मैं बन के आया तेरा सवाली,

नाम तेरा माँ झंडे वाली! 

अलग अलग रूप में दिया सहारा, कभी बन लक्ष्मी कभी सरस्वती कभी बनी काली,

नाम तेरा माँ झंडे वाली! 

हर पल अपना हाथ रखो मेरे सर पर,दिखाओ अपनी महिमा निराली, 

नाम तेरा माँ झंडेवाली! 

                           

औरत तेरी यही कहानी

तन मन धन अपना सब कुछ लुटा कर वो घर को सजाए,

फिर कुछ अपने मन की कर जाए तो ये दुनिया सह नहीं पाए!

पूजा करे, मन्नतें माँगे,मन्दिर मन्दिर शीश झुकाए,

अलग अलग तरीकों से वो भगवान को रिझाए, 

करती है दिन रात तपस्या कि घर मेरा स्वर्ग बन जाए, 

फिर कुछ अपने मन की कर जाए तो ये दुनिया सहनहीं पाए! 

प्यार और चाव से वो भोजन बना सबको खिलाएं, 

बस इतनी सी ख्वाहिश मे कि अपना सम्मान वो सभी से पाए,

बदले में अगर वो दो कोर प्यार के पति से खाए, तो ये दुनिया सह नहीं पाए! 


                             श्वेता अरोड़ा

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