्विधा- त्रिपदी
भंवरा भ्रमर गीत गुनगुनाएं
बयार संग हरियाली लजाएं
सावन उमड़- घुमड़ कर आएं
मोर पपीहा कोयल कूक लगाएं
पानी भर -भर श्याम बादल लाएं
मेरा रोम- रोम पुलकित कर जाएं।
तुम भी आ जाते प्रियवर जो मेरे
तृप्त हो जाती मैं गले लगकर तेरें
आंखों में यादें आए- जाए बहुतेरे
संग-संग साथ बिताएं थे जो तेरे
दिन - रैन मुझको रहते हैं वो घेरे
पतझड़ बसंत सब लगा गए फेरें
आ जाओ साजन ना मुझे सताओ
अब ये जीवन कर दिया है नाम तेरे
तुझ बिन पिय श्रृंगार अधूरे सब मेरे।।
सुनीता जौहरी
वाराणसी उत्तर प्रदेश