कीर्ति चौरसिया
विष से कहीं ज्यादा तकलीफ देती विवशता,
विष मुक्त कर देता ,तकलीफों से, हर पल दम घोंटती विवशता !!
विष पी कर शिव, नीलकंठ कहलाए,
प्रण की लेकर विवशता,भीष्म महाभारत के आग्रेता कहलाए!!
विष ने मीरा को कृष्ण का ,बैरागी बनाया,
प्रेम अनुरागी होकर भी,विवशता ने राधा को प्रेमिका बनाया!!
विष पीकर देह हो जाती क्षीर्ण ,विवशता अंतरमन को कर देती विदीर्ण,
चापलूसी, लोलुपता विषाक्त की भाषा,
विवशता बन गई मौन की परिभाषा !!!
विवशता का हो रहा उपहास,विष करा रहा उतमता का आभास ,
आस्तीन में पालते सौ सौ विषधरों को,
विवश हो बेटे , छोड़ रहे अपने ही घरों को !!!
कीर्ति चौरसिया
जबलपुर ( मध्य प्रदेश)