-डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित
माँ गीता का ज्ञान ,माँ संस्कार की पाठशाला है।
माँ जीवन का गीत,माँ से जीवन मे उजाला है।।
माँ सहनशीलता की प्रतिमूर्ति माँ विचारों का सागर है।
माँ गंगा की धार माँ ही संस्कारों का भरती सागर है।।
माँ सीता सावित्री गार्गी, माँ देवी अहिल्या मदालसा है।
माँ सीता सी पतिव्रता माँ का प्यार सदा बरसता है।।
माँ के कदमों में जन्नत होती माँ ही देती निवाला है।
माँ ममता की मूरत , माँ मन मे रखती शिवाला है।।
माँ अभाव में रह लेती,माँ चुपचाप दुख सह लेती है।
माँ शबरी सी दर्शन प्यासी ,हरि को भी बुला लेती है।।
सन्तान के खातिर माँ ,सदा संघर्ष कड़े करती है।
माँ अधिकार नहीं मांगती,कर्तव्यों को निभा लेती है।।
-डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित
कवि,साहित्यकार
भवानीमंडी
जिला-झालावाड
राजस्थान