चाहत के उनके ख़्वाब आँखों में सजा लिए,
बुझते हुए चराग़ को फिर से जला लिए!!
-वादा किया था आएँगे मह्फ़िल में आपके,
हर दर्द लबों पे सजा के गीत गा लिए!!
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गुज़रा है अज़ब दौर से रिश्तों का ये सफर,
हर शख़्स जी रहा है दिल में फांसला लिए !!
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लहज़ा सुना जब ग़ैर सा तो होश उड़ गए,
चाहत में जिसके जिंदगी हमने मिटा लिए.!!
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कह कर गए थे आएँगे वफ़ा निभाने को,
क़ासिद न आया थक गए हम राह ताकते!!
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ये उठ रहीं लपटें कहाँ क्यों है धुंआ धुंआ,
सुना है बेवफ़ा का ख़त उसने जला दिए !
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वो जब चले थे मुस्कुरा के दिल चुरा मेरा,
पूछा था जब सवाल तो नज़रें झुंका लिए!!
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चले थे साथ ले कर मुहब्बत का कारवां,
रस्ता अलग सनम वो अपना बना लिए!!
# मणि बेन द्विवेदी
वाराणसी उत्तर प्रदेश