ग़ज़ल
मैं ये नहीं चाहतीं कि हर दर्द मिट जाएं
कुछ दर्द मिरी टूटें हुए दिल की इर्तिहाश़ है,
वही कारवा़ वहीं जिंद़गी वहीं बेकरारी
दिल के हर ज़र्रे में वहीं फक़त ख़राश है,
जिंदगी हर ज़ख़्म की शिफ़ा नहीं होती
कुछ दर्द दवा के फ़िक्र -ए -मआ'श़ है,
दर्द की तन्हाईयां है तन्हाइयों के दर्द है
दिल में शीशा हैं और शीशे़ में पाश़ है ,
अब न राह की न मंजिल की तलाश है
समझ लो ये जिंदगी अब जिंदा लाश है ।
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बाल कविता
चंदामामा
ओ चंदामामा आओ ना
मेरे संग तुम गाओ ना
टिम टिम तारों के भेष में
साथ में परियों को लाना
मेरे साथ टिमटिमाओं ना
चंदामामा आओ ना ।
किरणों का झूला झूलेंगे
पेंग बढ़ाकर नभ छू लेंगे
धरती -अंबर एक करेंगे
तुम धरती से मिल जाना
ओ चंदा मामा आओं ना
मेरे संग तुम गाओं ना ।
रात में ही तुम आतें हो
दिन में क्यों छुप जाते हो
रहतें हो अगर संग मेरे तो
सच- सच बात बता जाना
ओ चंदा मामा आओं ना
मेरे संग तुम गाओं ना ।।
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सुनीता जौहरी
वाराणसी उत्तर प्रदेश