इंदु मिश्रा'किरण
अब अंधेरा बढ़ गया है ये ख़बर अच्छी नहीं
चाँद बादल में छुपा है ये ख़बर अच्छी नहीं
आँधियों में भी सँभाला था जिसे हमने सदा
बुझ गया अब वो दीया है ये ख़बर अच्छी नहीं
किस तरह ठंडी हवा फल-फूल अब हमको मिले
हर शजर सूखा पड़ा है यह ख़बर अच्छी नहीं
छोड़कर नवजात बच्चे को गई जाने कहाँ
माँ ने ममता को छला है यह खबर अच्छी नहीं
दूर तक आकाश में सूरज कहीं दिखता नहीं
और मौसम धुंध का है यह ख़बर अच्छी नहीं
है मोहब्बत एक इबादत आज तक सुनते रहे
अब मगर बस वासना है यह ख़बर अच्छी नहीं
आजकल वह ग़ैर की महफ़िल में जाने लग गया
मन मेरा जिस पर मरा है यह ख़बर अच्छी नहीं ।
इंदु मिश्रा'किरण'
नई दिल्ली