एक रूप सलोना ऐसा भी

 


डा.मलय तिवारी 

भोली सूरत ही प्यार जैसी है। 

ये हँसी तो बहार  जैसी  है।। 



आईना देख कर न शरमाओ

सादगी ही सिंगार जैसी है  ।।

चाँद पूनम सा चमकता चेहरा, 

बोली बजते सितार जैसी है।। 

नयन दोनों हैं मदभरे प्याले, 

भवें तीखे कटार  जैसी हैं।। 

जुल्फें लगती हैं घटा सावन की, 

फली दन्त अनार के जैसी है। 

बँस बेलि कटिक कुच दीपों से, 

तन चंदन मन पुष्पहार जैसी है।। 

डाःमलय तिवारी 

बदलापुर, जौनपुर

Popular posts
सफेद दूब-
Image
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
मैट्रिक की परीक्षा में 451 (90.2%) अंक लाने पर सोनाली को किया गया सम्मानित
Image
परिणय दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Image
भोजपुरी भाषा अउर साहित्य के मनीषि बिमलेन्दु पाण्डेय जी के जन्मदिन के बहुते बधाई अउर शुभकामना
Image