भोली सूरत ही प्यार जैसी है।
ये हँसी तो बहार जैसी है।।
आईना देख कर न शरमाओ,
सादगी ही सिंगार जैसी है ।।
चाँद पूनम सा चमकता चेहरा,
बोली बजते सितार जैसी है।।
नयन दोनों हैं मदभरे प्याले,
भवें तीखे कटार जैसी हैं।।
जुल्फें लगती हैं घटा सावन की,
फली दन्त अनार के जैसी है।
बँस बेलि कटिक कुच दीपों से,
तन चंदन मन पुष्पहार जैसी है।।
डाःमलय तिवारी
बदलापुर, जौनपुर