तुम मेरा मौन हो

पूनम शर्मा स्नेहिल

सब पूछते हैं मुझसे ,

तुम मेरे कौन हो ।

जो तन्हाई में बन खुशी ,

लबों पर छा जाते हो ।


कर अदृश्य से संकेत,

तुम मुझे करीब बुलाते हो ।

बनकर ख्वाब आंँखों में ,

समा जाते हो।


मुश्किल में अक्सर,

राह दिखा जाते हो ।

कभी हंँसाते हो ,

तो कभी गुदगुदाते हो।


 मन को शांत नदी में,

 हलचल सी मचा जाते हो ।

बारिश की पहली बूंद सा,

 तुम मुझमें समा जाते हो ।


आहिस्ता- आहिस्ता जीवन में,

 खुद को खास बना जाते हो ।

कभी अनायास ही ,

मेरी पलकें भिंगा जाते हो ।


देखकर दुखी मुझे ,

गले से लगा जाते हो ।

सब पूछते हैं मुझसे,

 तुम मेरे कौन हो ।


तुम मेरा मौन हो,

 तुम मेरा मौन हो।।


©️®️☯️

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