मां


"जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी"





इस अकिंचन की लेखनी में वह मसि कहाँ 

जो माँ की ममता का आकलन कर सके

कवि की कल्पना शक्ति में वह चतुराई कहाँ 

जो ममता की गहराई का मापन कर सके

फिर भी इस माली की डाली में अर्पित हैं 

कुछ श्रद्धा-सुमन ममता की वेदी पर चढ़ाने को

एक हठी बालक की भाँति उन्मत है यह मन

सूरज के सामने एक नन्हा-सा दीप जलाने को

              गीता चौबे गूँज 

             राँची झारखंड

Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
सफेद दूब-
Image
प्रेरक प्रसंग : मानवता का गुण
Image
भोजपुरी भाषा अउर साहित्य के मनीषि बिमलेन्दु पाण्डेय जी के जन्मदिन के बहुते बधाई अउर शुभकामना
Image