मित्र वही है आपका ,सदा आपके साथ ।
रहता विपदा में खड़ा, रखो हमेशा माथ
मन मौजी है बाबरा ,संभल रहना आज ।
घूमे बाहर व्यर्थ तो ,बिगडेगे सब काज ।।
व्यर्थ अर्थ का भागना ,मिलता न कभी चैन ।
शांति आस में भागते ,गुजरेंगे दिन रैन ।।
श्रम ही लिखता भाग्य को ,श्रम पर कर विश्वास ।
श्रम बिना न रखना कभी ,जग में कोई आस ।।
कैसी तृष्णा पाल मन ,क्यूँ भरकता उदास
ईश्वर भीतर ही रमा ,बाहर पाले आस ।।
मन प्रेम सौहार्द रखो , सरल एक समाधान ।
शांति ह्रदय खुद आ बसे , काहे का व्यवधान ।।
उतरे काग़ज़ पर सभी ,मानव मन के भाव ।
मन की कलम बनी सखी ,बाँध घुँघरू पाँव ।।
माँ शारदे नमन करूँ ,सिर पर राखों हाथ
अन्याय से लड़ती रहूँ ,कलम हमेशा साथ
निर्मल गंगा भावना ,हैं चरित्र आधार ।
प्रीत रीत बहती रहे ,जग का हो उद्धार ।।
सवि शर्मा
देहरादून