कवियत्री अर्पणा दुबे की रचनाएं

 


भारतीय संस्कृति

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

भारतीय संस्कृति है

एक प्रचीन संस्कृति है


इसका सब सम्मान करो

सबसे मिल कर रहो


सबको अच्छा संस्कार दो

सबसे अच्छा ज्ञान लो


ज्ञान, भक्ति का यहाँ भंडार

यहाँ नहीं किसी को अहंकार


यहाँ की रीति रिवाज् है प्यारे

यहाँ के लोग है बहुत प्यारे


यहाँ सब एकता से रहते है

सब एक दूजे के मन का करते है


हाथ से हाथ मिलाकर कर चलते हैं

एक दूसरे का सहारा बनते हैं


यहाँ सब प्यारे प्यारे पेड़ लगाते हैं

सब मिलकर रक्षा करते है।।


गौतम बुद्ध के विचार,,,,,,


सत्य के राह में चलना 

प्रेम की वाणी बोलना

आक्रोश मे आकर कभी

कोई काम नही करना


खुदगर्ज मित्रों से दूर रहना

लोभ माया से दूर रहना


प्रयोजन की ओर बढ़ते जाना

पीछे मुड़ कर मत देखना

जब तक ना मिले मंजिल

उस राह को मत छोड़ना।


सच्ची सुंदरता


सच्ची सुंदरता वह होती है

जिसका मन गुण अच्छा होता है

बस तन की सुंदरता ,सुंदरता नहीं कहलाता है

उसका व्यवहार कैसा है

वह लोगों से कैसे बात करता है,


गोरा होना ,चेहरे का सुंदर होना वह सुंदरता नहीं होता है

मनुष्य की सुंदरता उसके विचार,उसके ज्ञान से पता चलता है,

जब मनुष्य पाचँ तत्व में मिल जाता है 

लोग उसके सुंदरता को कम ही याद करेंगे

लेकिन उसके व्यवहार उसकी वाणी को अधिक याद करेंगे,।।।

अर्पणा दुबे

 अनूपपुर।



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