मालिक तेरा ही बस सहारा

  

आकाश सिंह "अभय"

ये जीवन का कालचक्र है निराला,

कहीं धूप, कहीं छांव है सारा ,

कभी बारिश कभी सूखे का सहारा,


ये जीवन का कालचक्र है निराला ।।


हम सब यहाँ कठपुतली हैं, 

मालिक तेरा ही बस सहारा, 

मालिक तेरा ही बस सहारा, 

यह जीवन का कालचक्र है निराला।।


ये मेरा, ये तेरा ,

इन सब मे भरा पड़ा है जग सारा,

ये जीवन का काल चक्र है निराला, 

यहाँ मालिक तेरा ही बस सहारा ।

यहाँ मालिक तेरा ही बस सहारा।।


- आकाश सिंह "अभय"

    कर्बीआंगलांग,असम

Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं वरिष्ठ कवियत्री नोरिन शर्मा जी दिल्ली से
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं प्रो आराधना प्रियदर्शिनी जी हजारीबाग झारखंड से
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं अनिल कुमार दुबे "अंशु"
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं गोविन्द कुमार गुप्ता जी लखीमपुर-खीरी उत्तर प्रदेश
Image