श्री कमलेश झा
दो शब्द समर्पित माँ तुमको जन्म दिया इस धरा पर आप।
कोटि कोटि वंदन तुमको जगत दिखाया हमको आप ll
तुम तो हो ममता की मूरत करुणा के हो भंडार ।
जीवन के हर क्षण में आशा हमेशा रहेगा आपके साथ ll
अबोध शिशु बन जब तक बैठा आंचल छाया आपके ।
चिंता-फिकर कोसों दूर था जब तक बैठा आंचल छाया आपके ll
समय समय पर राह बताया गूढ़ सिखाया जीवन के ।
अच्छे बुरे का अंतर बताया ज्ञान सिखाया जीवन के ll
राह प्रशस्त हो जीवन पथ का राह बताया जीवन के ।
ईश्वर प्रार्थना कर संकट काटा राह बनाया जीवन के ll
ब्रह्मा विष्णु बेशक सृष्टा होंगे स्वर्ग तक होगा उनका राज ।
पर मेरी सृष्टा तुम ही हो मेरे जग के आप आधार ll
तुमने सींचा अपने लहू से रूखी सूखी खाकर ।
सुख-दुख झेल पाला-पोसा रूखी सूखी खाकर ll
जब आता कोई भी संकट आंचल छाया साथ मिला ।
संकट को भी जाना पड़ता जब माँ तेरा छाया साथ मिला।।
आराधना बिना तो देव ना मिलते तुम मिलते बिना पुकार के ।
मातृछाया मांगे बिना आंचल छाया मिलता रहता दुलार से ll
मूर्त रूप तुम ईश्वर के तुम करुणा के सागर हो ।
इस धरा के प्रकट रूप तुम वात्सल्य के सागर हो ll
कल्पतरु तुम घर परिवार के जन जन के सहायक हो ।
जब जिसकी जो जरूरत तुम ही तो सहायक हो ll
भूलकर एहसान तुम्हारे जब हो जाते स्वार्थी हम ।
दूध को लजा जाते हैं जब हो जाते स्वार्थी हम ll
कर्ज तुम्हारा उतार ना पाऊं जन्म लेकर भी बारंबार ।
एहसान तुम्हारा साथ रहेगा जीवन के सांसों के साथ ll
अगर तुम्हें दुख मिलता तो दोष हमारा ही होगा ।
पाठ तुम्हारा सामाजिकता का शायद हमने पढ़ा न होगा ll
मानव मूल्यों की बात करें तो मूल्य तुम्हारा महंगा है ।
चेतन के जन्मों का बंधन केवल तुम से जुड़ता है ll
फिर भी अब तेरी अवहेलना चीख रहा मानवता पर ।
प्रकृति भी शोर मचा चीख रहा मानवता पर ll
हे मानव अब भी सम्भलो तुम्हारी सृष्टा सामने है ।
जगत दिखाकर जीवन देकर तुम्हारी सृष्टा सामने है ll
दे दो बस उचित सम्मान इन्हें केवल इसकी जरूरत है
जीवन रूपी समुद्र से पार लगाने में सहायक है ।।3
श्री कमलेश झा
नगरपारा भागलपुर
बिहार