प्रीति ताम्रकार
जब मेरी किस्मत की लकीरें तुमसे जुड़ गई
मेरी हर ख्वाहिश तुम्हारी ओर मुड़ गई
ख्यालों में मेरे तुम हो रहते छाये
तुम और तुम्हारी मोहब्बत के साए...
मेरा न कुछ रहा,मैं न मैं रह गई
जिस ओर थी तेरी लहर उस ओर बह गई
खुद को भुलाकर हम तुमको पाए
तुम और तुम्हारी मोहब्बत के साए...
मैं तन्हा रहूं तो हरदम तेरा ख्याल आता
देखकर तुमको ही मेरा दिल सुकूं है पाता
तेरी आँखों में जन्नत नजर मुझको आए
तुम और तुम्हारी मोहब्बत के साए...
रोता है दिल मेरा जब रूठ जाते हो तुम
रहते हो खामोश नही दिल की बताते तुम
कहीं तेरी बेरुखी से हम मर न जाएं
तुम और तुम्हारी मोहब्बत के साए...
तुमसे ही मेरे दिल के गुलशन में हैं बहारें
सहारा हूँ मैं तुम्हारा और तुम मेरे सहारे
रहे साथ तेरा दिल ये मांगे दुआएं
तुम और तुम्हारी मोहब्बत के साए...
प्रीति ताम्रकार
जबलपुर(म.प्र.)