सर्वेक्षण

राकेश चन्द्रा

छोटे-बड़े नगरों और

महानगरों में,

सड़क के दोनों ओर,

शान से खड़ी हैं

अन्तहीन विस्तार लिये

अनगिनत इमारतें .

बस्तुकला के श्रेष्ठ नमूने,

सुन्दर ज्यामितीय संरचनाएं,

परम्परागत भव्यता

के प्रतिमान,


रंग-बिरंगी, सम्मोहक

ये जादुई इमारतें.

जिनमें

पाये गए- दर्पयुक्त चेहरे,

दंभ-भरी मुस्कान,

खोखली हॅंसी, लिजलिजे मुखौटे,

चरमराते आदर्श, रिरियाती

नैतिकता, स्केलेटन पर

सभ्यता का खोल ओढ़े,

आधे-अधूरे, हैरान से

खुद से परेशान-

आदमजात.


आत्मघाती, अंतहीन दौड़ में

टकटकी बॉंधे निराश, थकी-थकी

पथराई ऑंखे; चमक-दमक,

राग-रंग में सराबोर,

बेखुदी के आलम में मस्त-मस्त,

सपनों के व्यापारी.


सर्वेक्षित इमारतों में

सुसज्जित मकान मिले,

कार्यालय, चमचमाती दुकान और

व्यापारिक प्रतिष्ठान मिले.

स्कूल, अस्पताल और

धार्मिक स्थान मिले.

कोई घर नहीं मिला.


राकेश चन्द्रा

610/60, केशव नगर कालोनी

सीतापुर रोड, लखनऊ

 उत्तर-प्रदेश-226020,              

दूरभाष नम्बर : 9457353346

rakeshchandra.81@gmail.com

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