किरण मिश्रा 'स्वयसिद्धा'
हम निर्माण करना जानते हैं
हम जानते हैं बनाना
कारखाने ,अस्पताल और मकान
विद्यालय, बम और मिसाईल
हम जानते हैं
कैसे लिखी जाती है सुन्दर कविता
और कैसे गढृते हैं सुमधुर संगीत...
हम जानते हैं
निभाना सात जन्मों तक..रिश्ते
प्रेम, दोस्ती और बहुत सारे खूबसूरत अहसास।
हम जानते हैं
जीवन जीने की कला
दुख के गहन अन्धकार से भी निकल
आशा को जीवित रखना,
हम जानते हैं
महसूस करना दूसरों का दुख
हम जानते हैं बाँटना अपनों के
संग सुख.....
हम जानते हैं मरूस्थल
में भी बीज रोपना..
धरती के सीने से पानी निकालना...
चट्टानों के सीने पर सड़क और सुरंगे बनाना
हम जानते है प्रतीक्षा
हम जानते हैं.... परोपकार
हम जानते है पशु ,पक्षी, से अपनत्व
धरा का आंचल
आसमान का विस्तार, बरखा ,बादल.....नदिया, समन्दर
ईश्वर, नाद, ब्रह्माण्ड....
हम जानते हैं .......मानवीय सभ्यता का विस्तार और सृष्टि की उपादेयता ।
पर हम नहीं जानते कोरोना से उखड़ रही साँसों का संतुलित उपचार,
हम नही जानते आक्सीजन
सिलेन्डर की आवश्यकता और उपादेयता,
हम नहीं जगा पा रहे अपने अन्दर इतनी संवेदनशीलता
की जरूरतमंद को मिल सके,
कुछ जरूरी दवायें और इंजेक्शन ,
हम नही जानते ...हास्पिटल के बेड पर पड़ा व्यक्ति भी इंसान है ,
हमारे घर का न सही पर हमारे अगल बगल समाज हमारी ही सोसायटी का ....
जागो, आँखे खोलो
हे दुर्दान्त मानव ...
लालच त्यागो
इतनी संवेदनशीलता जगा लो खुद में,
इससे पहले मानवता कलंक लिखी जाय इतिहास के पन्नों में ..
आओ इस सुन्दर सृष्टि को नष्ट होने से बचा ले हम...!!
किरण मिश्रा #स्वयसिद्धा
नोयडा