मैं तो निःशब्द हूँ
तुझे पाकर शब्द बनाना चाहती हूँ
अपने शब्दों में पिरोकर
तुझे गुनगुनाना चाहती हूँ
मैं तो निःशब्द हूँ
तुझ पर कविता बनाना चाहती हूँ
अपनी भावना को संजोकर
तुझे लिखना चाहती हूँ
मैं तो निःशब्द हूँ
तुझ पर अधिकार जताना चाहती हूँ
अपना प्यार तुझ पर लुटाकर
तुम्हें अपना बनाना चाहती हूँ
मैं तो निःशब्द हूँ
शब्दों के छन्दों को सजाना चाहती हूँ
तुझ पर अपनी हर खुशी लुटाकर
तेरी खुशी की वजह बनाना चाहती हूँ
मैं तो निःशब्द थी
मैं तो स्तब्ध थी
तेरे आने से मेरी कविता बनी
तेरे लिए शब्दों के मोती बने
श्वेता को इतने शब्द मिले
श्वेता को इतने शब्द मिले ।।
श्वेता शर्मा
रायपुर छत्तीसगढ़
स्वरचित