हाथ में जीवन तुम्हारे

 


   मधु अरोड़ा

हाथ में जीवन तुम्हारे

 यह तो तुम हो जानते।

  कैसे संवार इसको तुम,

   यह तो तुम हो मानते ।

   प्रगति पथ पर आगे बढ़ो ,

   नित्य प्रतिदिन ,नई उमंग से भरो ।

   समाज का निर्माण करो ।

    लाचारों की मदद करो ।

    अपने साथ दूजे का जीवन,

     उमंग उल्लास से भर दो तुम।

    यह तो तुम्हारे हाथ में ,

    बीज से नन्ना पौध बने ,

    पौध से पेड़ बनो तुम ।

    कुछ शब्द प्यार के बोल 

   ममता का एहसास भरो तुम।

    जो कर सकते हो करो ,

    दुख दूजे का दूर करो तुम 

    स्नेहिल वृक्ष बनो ।

    या बनो कांटेदार झाड़ तुम,

     व्यवहार तुम्हारा अपना है ।

     कोई फूल तभी तो बनता 

     निस्वार्थ खुशबू लुटाता जग में,

      नाम वही है रोशन करता ।

      जो परमार्थ हित‌कुछ काम है करता।।

                       दिल की कलम से

                    

                       

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