बहकी बहकी बाते मुझसे तुम बनाया न करो!
आ जाओ पहलू में सनम वक्त गवायां न करो !
आओ ख्वाब में ही सुना दो लोरियाँ इश्क़ की !
जाम नींदों का मुझे आंखों से पिलाया न करो !
बसर हो जाने दो रतजगे में ये चाहतें दिल की,
अपने होंठों को मेरे होंठों से यूँ लगाया न करो!
वस्ल करने दो शब को भी आज सितारों के संग,
भर के बांहों में मुझे चाँद को तुम जलाया न करो !
किरण के काजल में डूब जायेंगी तेरी सुरमई शामें,
बन के सूरज मेरे हुस्न पे यूँ कहर ढाया न करो ।
किरण मिश्रा "स्वयंसिद्धा"
नोयडा