मीना माईकेल सिंह
टूटती उम्मीदों पर तुम उम्मीद का नया दीप जलाओ,
हारो मत तकदीर के उसे फिर आज़माओ।
उम्मीद कायम रही तो हर तकदीर बदल जाती है,
तेरी उम्मीदों को पूरा करने क़ायनात भी उतर आती है।
टूटती शाखाओं में फिर पल्लव प्रस्फुटित होती है,
उम्मीद न छोड़ने वालों की ही जग में जीत होती है।
हर टूटती उम्मीद प्राची में नई उम्मीद की लालिमा लेकर आती है,
नभ में गाते खग नई उम्मीद की राग सुनाती है।
विध्वंश से रुकता नही निर्माण का सुख,
हर कालिमा की ओट में छिपा है लालिमा का सुख।
उम्मीद चाहे जितनी बार टूट जाये नई उम्मीद सफलता के द्वार खोल ही देती है,
जीवन का हर दुःख को हर जीवन में सुख ही देती है।
उम्मीद जब टूट जाए तो मुस्कुराओ,मुस्कुरा कर उसे यह बताओ,
हम इंसान है नाउम्मीद नहीं हो सकते है अपने दम पर ही हम नए विश्व रचते है।
स्वरचित -मौलिक रचना
मीना माईकेल सिंह✍️
कोलकाता