कीर्ति चौरसिया
कुछ छूट जाता है तो,यकीनन वो तेरे पास ही जाता है,
मेरा वो छूटा हुआ हर लम्हा,तेरे पास ही पाया है!!
अपने वजूद को ढूंढा है, कई बार हकीक़त में,
ख्वाहिशों के हर ज़र्रे को ,टूटा हुआ तेरे पास ही पाया है !!
आंसुओं को शायद ,गिरने की ही आदत होगी,
पर टूटे हुए सपनों को तेरे पास ही पाया है!!
किस्मत की लकीरों में थी,सिर्फ तेरी चाहत,
साथ ज़िंदगी जीने की हसरत को ,टूटा हुआ तेरे पास ही पाया है!!
यादों के हर एक लम्हें को,सहेज कर रखा है यहीं,
जो गुज़रे तेरे साथ,उन छूटे हुए लम्हों को तेरे पास ही पाया है!!
कोई वादा तो हुआ था, फिर मिलने का अपना ,
उस टूटे हुए वादे को सिसकता हुआ,तेरे पास ही पाया है!!
कीर्ति चौरसिया
जबलपुर (मध्य प्रदेश)