"माँ की बालूशाही"


प्रतिभा दुबे 

क्या कहुं तुझसे मैं माँ,

मैं हूं तेरी ही परछाईं ,

इस लॉकडाउन के चलते माँ,

मुझे तुम्हारी याद बहुत सताई।।


न मिल पाना अभी संभव है ,

न भूल तुम्हें मैं पाई प्रतिपल ! मां

परिवार मैं मेरे साथ सभी है माँ,

पर तुम्हारी कमी मुझे बहुत सताई ।।


तुम्हारी मीठी बातों से माँ

आज मेरी रसोई फिर महकाई,

अपनी छोटी सी रशोई में मैंने

आज बनाई तुम्हारी बालूशाही।।


याद तुम्हें मैं आज कर करके 

मन ही मन बहुत मुस्काई 

मेरी प्यारी सी "बालूशाही "

जो माँ ने मुझे सिखाई।।


प्रतिभा दुबे 

(स्वतंत्र लेखिका)

ग्वालियर महाराज बड़ा 

मध्य प्रदेश

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