विषमताओं से भरी,
कठिन है जिन्दगी,
संघर्षों से टकरायेगी ही।
टूटी-फूटी सड़कों पर,
सफर है जिन्दगी,
हिचकोले तो खायेगी ही।
साधन समेटे विलासिता के,
भ्रम है जिन्दगी,
कभी-कभी भरमायेगी ही।
कर्म पथ पर लगन से,
चलना है जिन्दगी,
रंग तो लायेगी ही।
बाधाओं से लड़ने का,
नाम है जिन्दगी,
एक दिन जीत जायेगी ही।
इन्द्रधनुष के रंगों सी,
आभामय है जिन्दगी,
धरा से गगन तक जायेगी ही।
संकल्प और विश्वास,
मांगती है जिन्दगी,
विजयी भाव जगायेगी ही।
*सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'*
११६, राजपुर मार्ग,
देहरादून ।
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