डॉ.सरिता यादव
कुछ कहा ही नहीं कुछ लिख कर मिटा दिया
कुछ सोचा ही नहीं कुछ धीरे से बोल दिया कुछ अंधेरे ने सुना ही नहीं कुछ सुनकर अनसुना कर दिया
कुछ समझा ही नहीं तो कुछ समझ कर भुला दिया
कुछ समझ कर भी अन समझ कर दिया
कैसी है !
बातें कैसी मुलाकात है ।।
सब जान लिया फिर कुछ जाना भी नहीं सब पहचान लिया फिर सब भूल गए
कुछ पहचाना ही नहीं कैसी होती है बातें कैसी मुलाकात है ।।
सब जान लिया फिर कुछ जाना भी नहीं सब पहचान लिया फिर सब भूल गए कुछ पहचाना ही नहीं ।।
ऐसे होते हैं ख्वाब जो कुछ देखे लेकिन कुछ देखें पूरे हुए ही नहीं...
( डॉ.सरिता यादव )
हिंदी व्याख्याता
राजकीय महाविद्यालय
जाटोली हेली मंडी
गुरुग्राम( हरियाणा)