भगवान

नीरज कुमार सिंह

उंगलियां थकने लगी,

ॐ शांति लिखते लिखते,

मौत की खबरे सुनते सुनते,

 अब तो पकने लगे हैं कान,

अब बस भी करो भगवान ।


हर तरफ मचा कोहराम,

दहशत का पहरा है घहरा,

धरती सुनी सुनी सी हो गई,

कही न हो जाए ये विरान,

अब बस भी करो भगवान।


मनुज को गलती का हुआ एहसास

काटे इसने खूब हरे पेड़ों को ,

किया प्रकृति को इसने खूब सत्यानाश ,

महंगी हवा हुई , बिकने लगी है सास,

किंतु पत्थर न बनो ,हे दया निधान,

अब बस भी करो भगवान।


नीरज कुमार सिंह

देवरिया यू पी

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