पति पत्नी और बच्चे
बस यह ही माना परिवार।
इससे आगे खानदान वह,
जो भी रिश्तों का विस्तार।।
मात पिता भी परिवार की
गिनती में न अब शामिल।
धरती को परिवार मानते
जाने कहां गए वो दिल।।
आपाधापी, एकाकीपन की
कुछ ऐसी हवा चली।
एकाकी परिवार ही नजर
आते हैं हर शहर गली।।
दादी दादा, पोते पोती
वाले अब कम है परिवार।
उनमें भी बस सब दिखावटी,
नहीं दिलों में दिखता प्यार।।
कुछ भी कह लें,लिख लें कोई
यह ही है अब सच्चाई।
पति पत्नी बच्चे ही अपने,
भूले, मां-बाप, बहन-भाई।।
* डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर,उत्तर प्रदेश