मां

 


गोविन्द कुमार गुप्ता

जव जन्म लिया इस धरती पर मुख से निकला था माँ,,

9 माह था रख्खा कोख में था तब कहलाई वह माँ ।।


सब दर्द सहा सब कष्ट सहा

तब बन पाई वो माँ,

इसलिये तो धरती पर ईश्वर का रूप है देखो माँ,,।।


माँ की गोदी में प्यार मिले

लोरी के साथ दुलार मिले,

जीवन को है आधार मिले,

कितना करती है माँ,,,


जब जन्म लिया इस धरती पर

मुख से निकला था माँ,, ।।


वह राह ताकती तब तक है,

जब तक घर आ जाता ना,

जब तक वह भुंखी रहती है,

जब तक न खा लूं मैं खाना,

थोड़ी सी हिचकी आने पर पानी देती है माँ,,।


जब जन्म लिया इस धरती पर मुख से निकला था माँ,।।


धरती पर कोई ईश्वर है,

वह अंश यही है माँ,

बंश बेल को सदा बढ़ाती कहलाई है माँ,


जब जन्म लिया इस धरती पर मुख से निकला था माँ,,,।।


गोविन्द कुमार गुप्ता,

लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश

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