सुभाषिनी जोशी 'सुलभ'
मन परेशान है, प्रभु हम सबको शक्ति दो।
विकल मानवजाति को असीम अनुरक्ति दो।
आस का दीपक बुझा जा रहा।
रास्ता कहीं न नजर आ रहा।
श्वासें उधारी की मिल रही,
पल का यहाँ भरोसा ना रहा।
मानवमात्र को भगवन चरण में भक्ति दो।
मन परेशान है, प्रभु हम सबको शक्ति दो।
कोई राह नजर ना आ रही।
कोई शै मन को ना भा रही।
दे शान्ति गमगीन मानस को,
मन से विश्वास उठा जा रहा।
हे ईश्वर दुर्बल मनुष्य को सद्गति दो।
मन परेशान है, प्रभु हम सबको शक्ति दो।
पग-पग पर खतरा मंडरा रहा।
जन-जन मिलने से कतरा रहा।
जीवन को सादा सरल कर दो,
मनुष्य धुन्धल में विचरा रहा।
घबराये मानव को दयालु आसक्ति दो।
मन परेशान है, प्रभु हम सबको शक्ति दो।
सुभाषिनी जोशी 'सुलभ'
इन्दौर मध्यप्रदेश