शुद्धता
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शुद्धता रखिए तन - मन की,
औ पर्यावरण को रखिए शुद्ध,
विजयी होंगे हर क्षेत्र में,
चाहे कैसा क्यों न हो युद्ध,
चाहे कैसा क्यों न हो युद्ध,
है परमावश्यक अपनी शुद्धता,
कहते 'कमलाकर' हैं जीवनको,
स्वस्थ-निरोग रखती है शुद्धता।।
स्वास्थ्य
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स्वास्थ्य से बढ़कर है सुख नहीं,
नित्यप्रति रखिए इसका ध्यान,
औ नियमित रहे जीवनचर्या,
शुद्ध - सात्विक करें खान-पान,
शुद्ध - सात्विक करें खान-पान,
अत्युत्तम रहेगा अपना स्वास्थ्य,
कहते 'कमलाकर' हैं कितना ही,
सुखप्रद होता हैअच्छा स्वास्थ्य।।
आस्था
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आस्था रखें परमात्मा में,
हैं वही सबके पालनहार,
संरक्षक हैं वही सचराचर के,
औ वही हैं हमारे खेवनहार,
वही हैं हमारे खेवनहार,
हैं करते सारी वही व्यवस्था,
कहते 'कमलाकर' हैं प्रभु में,
रखते हम भी पूरी आस्था।।
छेड़छाड़
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छेड़छाड़ मत करो प्रकृति से,
प्रकृति को यों - ही रहने दो,
है प्रकृति हमारी जीवन साथी,
हमें प्रकृति के अंक में पलने दो,
हमें प्रकृति के अंक में पलने दो,
न करो प्रकृतिसे कोई खिलवाड़,
कहते 'कमलाकर' हैं कितनी,
अनिष्ट कर रही है छेड़छाड़।।
प्रतिभागी
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प्रतिभागी बनें हर प्रतियोगिता में,
है ये उन्नति-विकास का संसाधन,
अनुभव-विचार का होगा विस्तार,
औ होगा मौलिक ज्ञानार्जन,
होगा मौलिक ज्ञानार्जन,
लक्ष्य-लाभ पायें होकर सहभागी,
कहते 'कमलाकर' हैं हर कोई,
हर प्रतियोगिता में हों प्रतिभागी।।
कवि कमलाकर त्रिपाठी.