सजना

 


मधु अरोड़ा

नैनो से दिल में उतर गए सजना ,

हुए दिल के तार झंकृत ।

बज गए मधुर स्वर सजना 

क्या कहूं कैस?

गाल है शर्म से लाल।

तुम्हारी छवि देखतेही,

 झंकृत हुए दिल के तार ।

 दिखता है चारों ओर ,

 मौसम मधुर सुहाना।

  कली गुनगुना रही हैं ,

  फूल गा रही है प्यार का तराना ।

झंकृत हुए दिल के तार ,

तुम्हें देखा जबसे सजना।

 हवाएंभी छेड़ रही है,

 मदमस्त है तराना ।

 खुशबू बिखर रही हर और,

  कर रही दीवाना ।

  यू ना हमको देखो ,

  नजरों से यू न चुराओ।

  देखा तुम्हें जब से सजना,

   झंकृत हुए दिल के तार ।

   दिल हमारा बेकरार ,

   गाएं बस प्यार का तराना ।

   दिल नहीं अब बस में मेरे ,

   स्वास भी अब गीत गा रही ।

    जिधर देखूं उधर प्रियतम ,

    तेरी छवि नजर आ रही है।

     तुम्हें देखा जब से सजना

      झंकृत हुए दिल के तार।।

                      दिल की कलम से

                      

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