गोविन्द कुमार गुप्ता
कैसा देखो समय आ गया कैसा है इंसान,
सब कुछ चोरी करता था अब कफ़न चोर इंसान,
जिनकी आहे छुपी हुई है,
उन कफ़न के कपड़ो में,
चोर उन्ही को चुरा रहे और पैसा ढूंढे कपड़ो में,
होता है व्यापार आज कैसा। देखो श्मशान ,,
सब कुछ चोरी करता था
अब कफ़न चोर इंसान,,।।।
कुछ ने जीवित रहते लुटा,
पर इस जग से बन्धन छुटा,
अब मैं देख रहा हूँ देखो,
यह चेहरा हैवान,
सब कुछ चोरी करता था अब कफ़न चोर इंसान,,
पहले एक कहावत थी,
अब सत्य हो रही इस युग मे,
शर्म हया सब खो दी देखो,
पैसे ही पैसे दिखते है इस युग मे,
कफ़न की चोरी करते पकड़ा गया इंसान,,
सब कुछ चोरी करता था अब कफ़न चोर इन्सान,।।
जो कपड़े दूल्हे पहने ओर दुल्हन करे सुहाग,
उन कपड़ो में मिला हुआ
कुछ लाशों का भी भाग,
कैसे होगी इन कपड़ो की
अब देखो पहचान,
सब कुछ चोरी करता था,
अब कफ़न चोर इंसान,,
गोविन्द कुमार गुप्ता,
लखीमपुर खीरी,उत्तर प्रदेश