बच्चों का खेल

 


हसते हसते खेल रहे थे

कोयल जैसे बोल रहे थे

मेंढक जैसे कूद रहे थे

हसते हसते खेल रहे थे।

देख दशा लालू यादव जी हर्षित मन फूल रहे थे।

बच्चों ने आवाज उठाया

मेंढक ने झट पट अकुलाया

कुत्तों ने भौं -भौं कर बैठे

बच्चों ने तब रेस बढ़ाया।

सुबह हुई सूरज अकुलाया

पंछी भी अब जोश में आया

जब बच्चे घर में घुस बैठे

गिरगिट अपना रंग दिखाया।

तितली भी जब जोश में आई

फूलों के रस है मन भाई

तितली को अब दूंगा मार

तितली यह जब सुनीं कान से

उड़ पहुंची अपने बागान।

बन्दर अपने जोश में आया

बच्चों ने शीशा दिखलाया

झट बंदर ने दांत दिखाया

बच्चों ने मिल जीभ दिखाया

बन्दर भी अब है अकुलाया।

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