स्पर्श

 

तरुणा पुण्डीर 'तरुनिल

याद है माँ का वह पहला स्पर्श,

मिल गया था जैसे कोई अर्श,


गोद में लिया था जब माँ ने,

पढ़ लिया ममता का अनकहा हर्फ़।


फिर पिता ने अंगुली पकड़ के ,

जब सिखलाया पैरों पर चलना,

उस स्पर्श ने बतलाया हौले से,

किसी भी संकट से मत डरना।


जब पीठ थपथपाई गुरु ने थी,

आत्मविश्वास ने मानो पींग भरी,

उसी ने जब कान मरोड़ा तो,

उस स्पर्श ने भी इक सीख ही दी।


जीवन के मधुमास में जब,

पहले प्रेम का स्पर्श हुआ,

तन मन झंकृत हो उठा जैसे,

लाज हया ने मुझे छुआ।


स्पर्श जो कभी जीवन रेखा था,

 आज वही मौत की दस्तक है ।

पीड़ा में जो कभी दिलासा था, 

वह स्पर्श , बन गया आफत है।


तरुणा पुण्डीर 'तरुनिल'

नई दिल्ली।

Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
पीहू को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं
Image
ठाकुर  की रखैल
Image
कोरोना की जंग में वास्तव हीरो  हैं लैब टेक्नीशियन
Image