गर जीवन के पथ
चलना है
तो सुदृढ़ पथ
चुनना होगा
भरी जिंदगी संघर्षों से
आगे तुमको बढ़ना होगा
गर शूलों का पथ मिले तुम्हें
उसको भी गहना होगा
क्या सुख के पल
क्या दु:ख के छण
वो भी तुमको सहना होगा
जीवन के चुभते शूलों में
फूलों सा मुस्कुराना होगा
प्रयत्नवान कर्मों का
अनुयायी बनना होगा
उद्वेग- प्रवाहित सरिता सा
वेगों में तुमको बहना होगा
भरी जिंदगी संघर्षों से
आगे तुमको बढ़ना होगा
गर जीवन के पथ चलना है
तो सुदृढ़ पथ चुनना होगा
शरद कुमार पाठक
डिस्टिक------(हरदोई)