*चौरी चौरा घटना ब्रिटिश भारत का शायद पहला काण्ड है*
(इसमें 4 फरवरी को हर वर्ष शहीद पुलिस को पुलिस व शहीद सत्याग्रहियों को पूरादेश अपनी श्रद्धांजलि देकर कोटि कोटि नमन करता है)
4 फरवरी उन्नीस सौ 22 का था ब्रिटिश भारत।
संयुक्त राज्य के गोरखपुर में चौरी चौरा आहत।
असहयोग आंदोलन में थे सक्रिय प्रदर्शनकारी।
पुलिस चला दी गोली मर गए 11 प्रदर्शनकारी।
ये देख प्रदर्शनकारी भिड़े पुलिस के वर्दीधारी से।
आंदोलनकारी भी ये उग्र हो गये इन वर्दीधारी से।
पुलिस रवैया देख लगा दी आग वहाँ के थान्हे में।
3 नागरिक 22 पुलिसकर्मी जल के मरे थान्हे में।
हिंसा के खिलाफ रहने वाले गाँधी जी ने टोका।
12 फरवरी 22 को असहयोग आंदोलन रोका।
गाँधी जी के निर्णय की हुई बहुत ही आलोचना।
यह राष्ट्रीय दुर्भाग्य है सुभाषबोस ने की भत्सर्ना।
नेहरू कहे कन्याकुमारी गांवमें अपराध होजाये।
सजा निर्दोष हिमालय गांव को क्यों दिया जाये।
अबुलकलाम आजाद कहे ये एक महान भूल है।
हिन्द के हृदय में ये बारदोली प्रस्ताव ही शूल है।
डॉ.राजेंद्र को जनमानस में मुर्दनी दिखाई देता।
दौड़ते हुए मनुज को ठेसलगे गिरा दिखाई देता।
रजनीपाम दत्त कहे खोदापहाड़ निकलीचुहिया।
बारदोली प्रस्ताव तहत गाँधी ने रोक दी पहिया।
चौरीचौरा अभियुक्तों का केस मालवीय ने लड़ा।
मुक़दमे में सबको बचा लेजाना कठिन था बड़ा।
पं.मदन मोहन मालवीय जी थे अच्छे अधिवक्ता।
इनके आगे टिके ना कोई भी ब्रिटिश अधिवक्ता।
चौरीचौरा में प्रदर्शनकारियों ने 25सों जला दिये।
सभी आरोपियों अभियुक्तों को पं.जी बचा लिये।
वहाँ बनाहै गोरखपुर में शहीद स्मारक चौरीचौरा।
आजादी के दीवानों/पुलिस वालों का है ये चौरा।
अंगेजों की गोली से व पुलिस स्टेशन की आग में।
ड्यूटी पे शहीद सिपाही एवं सत्याग्रह की आग में।
4 फरवरी को दोनों मनाते अपना शहादत दिवस।
थान्हालगी समाधि में पुलिसमनाती शहीद दिवस।
अंगेजों के खिलाफ शहीद सत्याग्रहियों को नमन।
पूरादेश इन्हें श्रद्धांजलि दे कर करता सादर नमन।
अंग्रेजी हुकूमत में संभवतः देश का पहला काण्ड।
जिसको इतिहास में नाम दिया चौरी चौरा काण्ड।
4फरवरी2021 चौरीचौरा जनक्रांति शताब्दी वर्ष।
गायें गें मिलकर"वन्दे मातरम" यह है शताब्दी वर्ष।
'वन्दे मातरम' गायन ये गिनीज बुक में दर्ज करायें।
चौरीचौरा जनक्रांति शताब्दी वर्ष पूरे साल मनायें।
*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.