उद्गार संगठन की मासिक गोष्ठी प्रारम्भ, 52 वीं काव्य गोष्ठी संपन्न

 

साहित्यकार लगवाएंगे पीपल, मार्च से फिर शुरु होगा पौध रोपड़

आगे के साहित्यिक कार्यक्रमों में विमोचित की जाएंगी उद्गार व स्याही प्रकाशन के सहयोग से प्रकाशित किताबें



ब्यूरो रिपोर्ट

वाराणसी। उद्गार साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संगठन द्वारा आयोजित 52 वीं मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह गोष्ठी में स्याही प्रकाशन परिसर भोजूबीर वाराणसी में संपन्न हुई। उक्त साहित्यिक कार्यक्रम में हर बार की तरह इस बार भी काशी के साथ ही साथ अन्य निकट के जनपदों के अनेक साहित्यकार व कवि शामिल हुए। राजकीय पुस्तकालय वाराणसी के पुस्तकालयाध्यक्ष एवं डूडा के उपायुक्त कंचन सिंह परिहार, जिला प्रशिक्षण अधिकारी दीनानाथ द्विवेदी रंग, उद्गार संस्था के संस्थापक छतिश द्विवेदी कुंठित के साथ अनेक साहित्यकार मौजूद रहे।


उल्लेखनीय है की लाॅकडाउन के कारण उद्गार संस्था ने अपने साहित्यिक कार्यक्रम को स्थगित किया था। लाॅकडाउन के बाद शुरु किए गये साहित्यिक कार्यक्रम में संस्था द्वारा एक करोड़ पीपल के वृक्ष लगवाने की योजना को पुनः शुरु करने के लिए नई कार्यप्रणाली बनाने की बात तय की गई। संस्था की ओर से कुंठित जी ने बताया कि पीपल रोपड़ की यह ‘लव यू दुनिया’ योजना विश्व भर के लिए है। भारत सहित नेपाल जैसे कुछ देशों से पीपल लगवाने का प्रस्ताव आया है। आगामी मार्च महीने से एक करोड़ पीपल लगाने के लक्ष्य पर पुनः काम शुरु कर दिया जाएगा।

उक्त संपन्न हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री महेन्द्र तिवारी अलंकार ने की और सभा का संचालन बुजुर्ग कवि योगेंद्र नारायण चतुर्वेदी वियोगी ने किया। कार्यक्रम में जिन कवियों ने प्रतिभाग किया उन में हर्ष वर्द्धन ममगाई, डॉ0 लियाकत अली, श्रीमती शिब्बी ममगाई, प्रो. शरद श्रीवास्तव, प्रसन्नबदन चतुर्वेदी, संतोष कुमार श्रीवास्तव प्रीत, सन्ध्या श्रीवास्तव, बैजनाथ श्रीवास्तव, सिद्धनाथ शर्मा, श्रीमती निलिमा श्रीवास्तव, श्रीमती कंचनलता चतुर्वेदी, मनोज मिश्रा, जयप्रकाश मिश्र धानापूरी, दीपक शर्मा, डा. नसीमा निशा, आशीष दूबे, सुनिल सेठ, आकाश उपाध्याय ‘शब्दाकाश’, अनुराग मिश्र, चन्द्र प्रकाश सिंह, शैलेश मिश्रा, अभिषेक सिंह, अभिषेक उपाध्याय, तरुण कुमार राय, अभिषेक श्रीवास्तव, संदीप सिंह, खुशबू पटेल, सूरज यादव आदि रहे।

कार्यक्रम के बाद में संदर्भ वक्तव्य व कविता पाठ में छतिश द्विवेदी ‘कुंठित‘ ने प्रेम व सम्मान के बारे में बोलते हुए कहा कि ‘सम्मान पे्रम के उन्नयन की तीसरी अवस्था है, पहले प्रेम होता है, फिर आदर भाव आता है फिर सम्मान का उदय होता है, सम्मान प्रेम की विकसित अवस्था है।’ इसके आगे उन्होंने अपना प्रिय मुक्तक ‘ विश्व मेरे खाब के अनुसार हो जाए अगर, खून में कुछ स्नेह का संचार हो जाए अगर, स्वर्ग से भी खूबसूरत यह जमीं हो जाएगी, आदमी को आदमी से प्यार हो जाए अगर!’ सुनाया । दीनानाथ द्विवेदी रंग ने घनाक्षरियाॅ सुनाकर सभी को मोह लिया।

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