दोहा

 




मानों चरखे ने दिया, इक सुंदर संसार।


सत्य अहिंसा प्रेम के, थे बापू अवतार।।-1


 


सबके लिए समान थे, कर सबका सम्मान।


अपनी धुन के थे धनी, बापू परम महान।।-2


 


जीव जंतुओं से किया, शक्ती से बढ़ प्रेम।


गूढ़ ज्ञान विज्ञान रच, हुए जगत में फेम।।-3


 


एक सूत में गूँथकर, माला दिया बनाय।


बापू की रहनी करम, देख हृदय हरषाय।।-4


 


जीवन में थी सादगी, और नयन में स्नेह।


बापू की परिकल्पना, जस स्वाती का मेह।।-5


 


महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी 


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