ये पल भर का प्यार


कभी शुरूर में, कभी गुरूर पे सवार।


कभी तेज़ आंधी, तो कभी धीमी वयार।।


फिर वही चिक चिक, वही तकरार


छोड़ो न यार, ये पल भर का प्यार।।


पल भर का प्यार, जीवन भर सताता है।।


वक्त जो खोया, वो वापस न लौट पाता है।


नींद चैन सब खोता, भूल जाता आहार।


छोड़ो न यार, ये पल भर का प्यार।।


पर एक वक्त भी आता है, जब वहम दूर हो जाता है। 


नशे से बाहर आया आशिक,रोता व पछताता है।।


आंसूओं की बारिश से, जीवन में न आती बहार।


छोड़ो न यार, ये पल भर का प्यार।।


 


अमर पाण्डेय


बस्ती, उत्तर प्रदेश (भारत) 


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