डेहरी पर बैठ धान पछोरती या
आफिस में बैठ की बोर्ड पर उंगलियां चलाती दोनों ही खूबसूरत है,
चूल्हे में पसीने से तर बतर या
किचेन में उलझी लटे सवारती दोनों ही खूबसूरत है।
खेतों की पगडंडियों पर उछलती कूदती अठखेलियां करती या
सड़को पर स्कूटी को तेज हवाओं संग खदेड़ती, दोनों ही खूबसूरत है
एक स्त्री हर रूप में खूबसूरत है।
सिनेमा में अदाकारी से नाम कमाती या
बस्तियों में सीखने सिखाने के तरीके बताती दोनों ही खूबसूरत है।
सदन में बैठ फैसले सुनाती या
घर में बच्चो को समझाती दोनों ही खूबसूरत है,
एक स्त्री हर रूप में खूबसूरत है।
गलियों की सफाई जो करती या
डाक्टर बेटी बन किसी की जिंदगी के लिए है जो लड़ती,
एक स्त्री हर रूप में खूबसूरत है।
स्वरचित
रचना
शालिनी यादव
प्रयागराज