शिक्षक समाज का सबसे श्रेष्ठ व्यक्ति होता है


आफ़रीन दीबा की क़लम से


एक शिक्षक वो व्यक्ति होता है जो अपने विद्यार्थी को सबसे बेहतरीन शिक्षा उपलब्ध कराने के द्वारा हर एक के भविष्य को आकार देता है। हर विद्यार्थी की शिक्षा में एक शिक्षक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। एक शिक्षक के पास बहुत सारे गुण होते हैं और वो अपने विद्यार्थी के जीवन को सफल बनाने में पूरी तरह से दक्ष होता है। एक शिक्षक बहुत समझदार होता है और अच्छे से जानता है कि विद्यार्थी का ध्यान पढ़ाई की ओर कैसे लगाना है। पढ़ाई के दौरान एक शिक्षक रचनात्मकता का इस्तेमाल करता है जिससे विद्यार्थी एकाग्र हो सके। एक शिक्षक ज्ञान का भण्डार होता है और उसके पास बहुत धैर्य और विश्वास होता है जो विद्यार्थियों के भविष्य की जिम्मेदारी लेता है। शिक्षक हर एक बच्चे की क्षमता का अवलोकन करता है और उसी अनुसार उस बच्चे को पढ़ाई में मदद करता है। स्कूल कि सबसे बड़ी संपत्ति शिक्षक का व्यक्तित्व है, और एक शिक्षक कभी साधारण नहीं होता, ज्ञान ही सर्वोपरि है ! सभी कठिन कार्यों में , एक जो सबसे कठिन है वो है एक अच्छा शिक्षक बनना।


 


 


 


◆ एक शिक्षक ही हमारी नई पीढ़ी के निर्माता होते है ◆


 


 


मै आफ़रीन दीबा जैसा के आप लोग जानते हैं किसी - किसी दिन मेरा क़लम किसी बडी शख़्सियत पे उठता है और बहुत कुछ लिखने को दिल मजबूर होने लगता है आज भी कुछ ऐसी ही मशहूर और मारूफ़ शख़्सियत की बात कर रही हूँ देखिए शख़्स से शख़्सियत बनने तक का सफ़र बेहद लम्बा और कठिनाइयों से भरा होता है अगर हर इंसान में वो सलाहियत होती तो हर किसी को अपना नाम बुलंद करने में कोई दुशवारी न होती मगर ऐसा तब होता है जब इंसान अपने अंदर कुछ सिफ़आत पैदा करता है कुछ कुर्बानियाँ देता है । 


 


वक़्त को मुट्ठी में क़ैद कर के जमाने को अपने क़दमो में झुकाने का हुनर पैदा करता है ,


ख़्वाहिशात को ज़िन्दगी के कड़वे सच की तह मे दफ़्ना देता है तब बनता है कोई शख़्स से शख़्सियत ।


 


किरतपुर में इंग्लिश लिटरेचर के मशहूर टीचर जुल्फी जी बिजनौर से सर सैय्यद स्कूल की उर्दू की मशहूर टीचर फरहा दीबा जी बिजनौर से ही सर सैय्यद स्कूल की मशहूर टीचर रफ़अत कौसर जी जयपुर से हिन्दी व संस्कृत की मशहूर टीचर सुशीला सैनी भी हमारे उन्हीं शख़्सियत में से एक हैं जिन्होंने हजारों बच्चों के उस्ताद के रूप में अपनी ज़िन्दगी के खूबसूरत व बेहतरीन वक़्त सिर्फ इसलिए ज़ाया किया ताकि आगे मुस्तक़बिल में वो बच्चे एक मुक़ाम हासिल कर सकें और अपनी बीती ज़िन्दगी के उन खूबसूरत लम्हों को जो इन टीचर्स ने हजारों बच्चों के लिए कुर्बान किया उन लम्हों को उन्हीं बच्चों की कामयाबी में देख सकें यही उम्मीद के साथ जीते हैं लेकिन कुछ लोग इस मुक़ाम पर पहुंचकर अपने आप को भुनाने की कोशिश करते हैं मगर मैने यानी आफ़रीन दीबा ने अपने सभी टीचर्स के अंदर एक ज़बर्दस्त रूहानी ताक़त को महसूस किया है कि वो हमेशा एक जैसे मापदंड में रह के आगे का सफ़र तय करते रहते हैं और आज भी मेरे सभी शिक्षक जिस मुक़ाम पर हैं वो अपनी इन्ही खूबसूरत शख़्सियत के वजह से हैं ।


उनके अन्दर समुद्र जैसी गहराई है वो अपनी ताक़त का प्रदर्शन कभी नहीं करते बेहद शालीन व सादे इसान हैं और चुप रहकर अपने काम करने पे विश्वास रखते हैं और मुझे फ़ख्र है अपने उन सभी टीचर्स पर जिन्होंने ज़िन्दगी को जीने के लिए एक बेहतरीन नजरिया दिया जिसपर चलकर सब कुछ हासिल किया जा सकता है । आख़िर में मैं आफ़रीन दीबा अपने सभी टीचर्स के लिए सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगी कि माँ - बाप ने जन्म तो दिया लेकिन जीने का सलीका तो आपने ही सिखाया है ।


 


" उस्ताद की महफिल में ही गुज़रे हैं शबो रोज़


अफसोस उनसे फैज़ उठाया नहीं कभी "


 


      आफ़रीन दीबा


किरतपुर , बिजनौर ( उत्तर प्रदेश )


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