शब्दों की ताकत

"दोहा मुक्तक"



एक वृक्ष है बाग का, डाल डाल फलदार।


एक शब्द है ब्रम्ह का, पढ़ न सका संसार।


पूजा तो सबने किया, लिए हाथ में फूल-


किसी किसी को मिल गया, नीर नाव पतवार।।-1


 


पात पात से वृक्ष है, और बृक्ष से पात।


दिन रोशन करता डगर, और चाँद से रात।


शब्द समंदर से बड़ा, लेकर समुचित भाव-


कनक कटोरा में भरा, कनक सरीखी बात।।-2


 


वृक्ष डाल पर मगन है, इक दादुर इक मोर।


दोनों के चित राग रस, कनक ढूढ़ता चोर।


मिल जाये कवि को अगर, कनक सरीखा शब्द-


खिल जाए कवि धर्मिता, भाव भंगिमा शोर।।-3


 


महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी 


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