जिंदगी की बस इतनी सी कहानी है /
न कोई राजा है यहाँ न कोई रानी है //
जीते हैं गफलत में फकत मेहरबानी है/
दो मीठे बोल को जाने क्यूं तरस जानी है//
शेरे दरिया तो बहुत देखे मौज में हमने /
लोमड़ी की अजब जहाँ में जिंदगानी है//
बसर कर लेती है देखकर ही अंगूरों को
न मिले तो क्या खट्टी फितरत जानी है//
आँखों पर पड़े पर्दे कब साफ हो पाते हैं/
लग जाते हैं जाले अक्सर रीत पुरानी है//
प्रीत का है दरिया गहरा लहरों में रवानी है/
नहीं मिलता मोल सच्ची मोह्हबत का
सदियों से इश्क़ की यही कहानी है//
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़